UP Police Constable Previous Year Paper 18-06-2018 (Shift -1) Hindi MCQs. Prepare for your UP Police Constable Exam effectively with the comprehensive collection of previous year paper questions. Access a wide range of practice questions designed to enhance your knowledge and boost your performance. Master the exam content, improve time management, and increase your chances of scoring high. Start practicing now!
प्रश्न:- गोदान’ किसका उपन्यास है?
प्रश्न:- कामायनी’ के रचनाकार हैं-
प्रश्न:- अंधेर नगरी’ नाटक के रचयिता हैं
प्रश्न:- बीजक’ किसकी रचनाओं का संग्रह है?
प्रश्न:- गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- भारत में स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। जब हम स्वतन्त्र हुए, तो उस समय हमारी स्थिति अच्छी न थी। सरकारी प्रयासों से काफी सुधार हुआ परन्तु अभी भी एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हम अभी तक कुछ विशेष नहीं कर पाए हैं। वह क्षेत्र है-खेलों का। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि वर्षों से हम ओलम्पिक में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए। दुनिया के छोटे-छोटे अविकसित, निर्धन राष्ट्रों के प्रतिभागी भी खेलकूद के क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। कभी हॉकी का विशेष चैम्पियन रहने वाला भारत आज इस खेल में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। खेलों में गिरते स्तर के लिए कौन जिम्मेदार है? एक ओर सरकार की उदासीन दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न खेल संघों की गुटबाजी, खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं एवं प्रशिक्षण का सर्वथा अभाव या कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खाली हाथ लौटने पर सभी एक-दूसरे को दोषी बताते हैं। कारण चाहे जो भी हो इतना तय है कि हम खेलकूद को राष्ट्रीय सम्मान का पर्याय नहीं मानते। प्रतियोगिताओं का नहीं, अभाव है तो लगन का, प्रोत्साहन का, संकल्प का और मुंहतोड़ जवाब देने वाले जीवट का।
खेलों में निर्धन राष्ट्र भी हमसे आगे निकल गए क्योंकि वहाँ है-
प्रश्न:- गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- भारत में स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। जब हम स्वतन्त्र हुए, तो उस समय हमारी स्थिति अच्छी न थी। सरकारी प्रयासों से काफी सुधार हुआ परन्तु अभी भी एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हम अभी तक कुछ विशेष नहीं कर पाए हैं। वह क्षेत्र है-खेलों का। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि वर्षों से हम ओलम्पिक में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए। दुनिया के छोटे-छोटे अविकसित, निर्धन राष्ट्रों के प्रतिभागी भी खेलकूद के क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। कभी हॉकी का विशेष चैम्पियन रहने वाला भारत आज इस खेल में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। खेलों में गिरते स्तर के लिए कौन जिम्मेदार है? एक ओर सरकार की उदासीन दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न खेल संघों की गुटबाजी, खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं एवं प्रशिक्षण का सर्वथा अभाव या कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खाली हाथ लौटने पर सभी एक-दूसरे को दोषी बताते हैं। कारण चाहे जो भी हो इतना तय है कि हम खेलकूद को राष्ट्रीय सम्मान का पर्याय नहीं मानते। प्रतियोगिताओं का नहीं, अभाव है तो लगन का, प्रोत्साहन का, संकल्प का और मुंहतोड़ जवाब देने वाले जीवट का।
गद्यांश के अनुसार राष्ट्र की उपलब्धियों में नहीं है-
प्रश्न:- गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- भारत में स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। जब हम स्वतन्त्र हुए, तो उस समय हमारी स्थिति अच्छी न थी। सरकारी प्रयासों से काफी सुधार हुआ परन्तु अभी भी एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हम अभी तक कुछ विशेष नहीं कर पाए हैं। वह क्षेत्र है-खेलों का। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि वर्षों से हम ओलम्पिक में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए। दुनिया के छोटे-छोटे अविकसित, निर्धन राष्ट्रों के प्रतिभागी भी खेलकूद के क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। कभी हॉकी का विशेष चैम्पियन रहने वाला भारत आज इस खेल में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। खेलों में गिरते स्तर के लिए कौन जिम्मेदार है? एक ओर सरकार की उदासीन दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न खेल संघों की गुटबाजी, खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं एवं प्रशिक्षण का सर्वथा अभाव या कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खाली हाथ लौटने पर सभी एक-दूसरे को दोषी बताते हैं। कारण चाहे जो भी हो इतना तय है कि हम खेलकूद को राष्ट्रीय सम्मान का पर्याय नहीं मानते। प्रतियोगिताओं का नहीं, अभाव है तो लगन का, प्रोत्साहन का, संकल्प का और मुंहतोड़ जवाब देने वाले जीवट का।
खेलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है-
प्रश्न:- गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- भारत में स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। जब हम स्वतन्त्र हुए, तो उस समय हमारी स्थिति अच्छी न थी। सरकारी प्रयासों से काफी सुधार हुआ परन्तु अभी भी एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हम अभी तक कुछ विशेष नहीं कर पाए हैं। वह क्षेत्र है-खेलों का। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि वर्षों से हम ओलम्पिक में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए। दुनिया के छोटे-छोटे अविकसित, निर्धन राष्ट्रों के प्रतिभागी भी खेलकूद के क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। कभी हॉकी का विशेष चैम्पियन रहने वाला भारत आज इस खेल में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। खेलों में गिरते स्तर के लिए कौन जिम्मेदार है? एक ओर सरकार की उदासीन दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न खेल संघों की गुटबाजी, खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं एवं प्रशिक्षण का सर्वथा अभाव या कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खाली हाथ लौटने पर सभी एक-दूसरे को दोषी बताते हैं। कारण चाहे जो भी हो इतना तय है कि हम खेलकूद को राष्ट्रीय सम्मान का पर्याय नहीं मानते। प्रतियोगिताओं का नहीं, अभाव है तो लगन का, प्रोत्साहन का, संकल्प का और मुंहतोड़ जवाब देने वाले जीवट का।
खेलों के गिरते स्तर का कारण नहीं है-
प्रश्न:- गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- भारत में स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। जब हम स्वतन्त्र हुए, तो उस समय हमारी स्थिति अच्छी न थी। सरकारी प्रयासों से काफी सुधार हुआ परन्तु अभी भी एक क्षेत्र ऐसा है, जिसमें हम अभी तक कुछ विशेष नहीं कर पाए हैं। वह क्षेत्र है-खेलों का। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि वर्षों से हम ओलम्पिक में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए। दुनिया के छोटे-छोटे अविकसित, निर्धन राष्ट्रों के प्रतिभागी भी खेलकूद के क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। कभी हॉकी का विशेष चैम्पियन रहने वाला भारत आज इस खेल में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। खेलों में गिरते स्तर के लिए कौन जिम्मेदार है? एक ओर सरकार की उदासीन दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर विभिन्न खेल संघों की गुटबाजी, खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं एवं प्रशिक्षण का सर्वथा अभाव या कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खाली हाथ लौटने पर सभी एक-दूसरे को दोषी बताते हैं। कारण चाहे जो भी हो इतना तय है कि हम खेलकूद को राष्ट्रीय सम्मान का पर्याय नहीं मानते। प्रतियोगिताओं का नहीं, अभाव है तो लगन का, प्रोत्साहन का, संकल्प का और मुंहतोड़ जवाब देने वाले जीवट का।
गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है …………
प्रश्न:- लड़के ने पुस्तक पढ़ी है।’ वाक्य का काल है-
प्रश्न:- प्रेरणार्थक क्रिया है-
प्रश्न:- निम्नलिखित में विशेषण है-
प्रश्न:- निम्नलिखित में सर्वनाम है-
प्रश्न:- किस शब्द का प्रयोग सदा बहुवचन में होता है?
प्रश्न:- निम्न में से कौन-सा शब्द पुल्लिंग है?
प्रश्न:- निम्न में से कौन-सा शब्द स्त्रीलिंग है?
प्रश्न:- निम्न में से कौन-सा वर्ण अघोष है?
प्रश्न:- निम्न में से तालव्य ध्वनि है-
प्रश्न:- निम्नलिखित में कौन-सा शब्दालंकार है?
प्रश्न:- दोहा’ के प्रथम चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?
प्रश्न:- वीर रस का स्थायी भाव है-
प्रश्न:- जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का सही अर्थ है-
प्रश्न:- दूध का धुला होना’ मुहावरे का अर्थ है-
प्रश्न:- हिन्दी में पूर्ण विराम का चिह्न है-
प्रश्न:- निम्नलिखित में से अव्यय है-
प्रश्न:- पुस्तक पढ़ी जाती है।’ में कौन-सा वाच्य है?
प्रश्न:- देशभक्ति’ में समास है-
प्रश्न:- मैंने घर जाना था।’ वाक्य में अशुद्ध अंश है-
प्रश्न:- महोत्सव का सन्धि-विच्छेद है-
प्रश्न:- लिखावट’ में प्रत्यय है-
प्रश्न:- पराजय’ में उपसर्ग है-
प्रश्न:- अनिल-अनल’ का सही अर्थ देने वाला शब्द युग्म है-
प्रश्न:- ‘जो कठिनाई से मिलता है’ के लिए एक शब्द होगा-
प्रश्न:- कर’ का अर्थ नहीं होता है-
प्रश्न:- शीत’ का विलोम होगा-
प्रश्न:- निम्नलिखित में तद्भव शब्द है-
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